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गोरेगांव तालुका के कमरगांव में भव्य तीन अंकी संगीतमय नाटक उत्सव संपन्न “विशाल अग्रवाल के हस्ते कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ” नगर परिषद चुनाव में कॉग्रेस टिकट के इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार संपन्न “पुर्व नगराध्यक्षा आशाताई पाटील, सिंधु सुरेशजी पिपलेवार, सायली वाघमारे एवंम शोभाताई उके काँग्रेस में शामिल”, पुर्व विधायक गोपालदास अगव्राल एवंम पर्यवेक्षक अशोकजी धवड़ ने किया नविन कॉग्रेसियों का स्वागत गुन्हेगारासोबत फोटो काढल्यामुळे त्या गुन्ह्यात आमचा सहभाग होत नाही – मंत्री चंद्रकांत पाटील प्रदीप पडोळे ने भाजपा के सभी संगठनात्मक पदों से दिया इस्तीफा “प्रेस कॉन्फ्रेंस में पडोळे की आँखों में आँसू “ भारतीय जनता पार्टी तुमसर तर्फे तुमसर येथिल “संताजी मंगल सभागृह येथे दिवाळी” स्नेहमिलन चे कार्यक्रम संपन्न प्रभाग क्रमांक 6 मधील अश्विनी सुनील थोटे यांची प्रचाराला सुरुवात (कलचुरी) एक दीप श्रद्धा का – “जो बदल दे आपका भाग्य” – जयनारायण चौकसे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा शंभर वर्षांचा सुवर्ण इतिहास लाभलेल्या नेहरू विद्यालयाच्या जीर्ण इमारतीचे नियोजन: माजी नगराध्यक्ष इंजि. प्रदीप पडोळे Exclusive interview,“सेवा मेरा धर्म है, संकल्प मेरी शक्ति है और समर्पण ही मेरा जीवन: जॅकी रावलानी  सत्यपाल महाराज का कीर्तन कल से माकड़े नगर तुमसर में: अभिषेक कारेमोरे माजी नगराध्यक्ष (रा.का)
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हरिश्चंद्र कलाल बांसवाड़ा की ओर से संपूर्ण भारत वर्ष से कलचुरी समाज को भगवान राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन जन्मोत्सव एवं दीपावली, नववर्ष पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं”

इंडियन हैडलाइन न्यूज़ नेटवर्क प्रतिनिधि/ मुख्य संपादक/ तुषार कमल पशिने

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हरिश्चंद्र कलाल बांसवाड़ा सामाजिक कार्यकर्ता: भगवान सहस्त्रबाहु की कृपा से आपका जीवन सुख, समृद्धि और आनंद से भरा रहे। यह जन्मोत्सव कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर दिवाली के ठीक बाद आती है। भगवान सहस्त्रबाहु को दत्तात्रेय से वरदान के रूप में सहस्र (एक हजार) भुजाएं प्राप्त थीं, इसलिए उन्हें सहस्रबाहु कहा जाता है। वह हैहय वंश के प्रतापी राजा थे। उनके नाम कई अन्य भी हैं, जैसे कार्तवीर्य अर्जुन, एकवीर, और राजराजेश्वर। 

प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सहस्रबाहु जयंती मनाई जाती है। उनका जन्म महाराज हैहय की 10वीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के गर्भ से हुआ था। उनका जन्म नाम एकवीर तथा सहस्रार्जुन भी है। चंद्रवंशी क्षत्रियों में हैहय वंश सर्वश्रेष्ठ उच्च कुल का क्षत्रिय माना गया है। चन्द्र वंश के महाराजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्तवीर्य-अर्जुन कहा जाता है। सहस्रबाहु भगवान दत्तात्रेय के भक्त थे और दत्तात्रेय की उपासना करने पर उन्हें सहस्र भुजाओं का वरदान मिला था इसीलिए उन्हें सहस्रबाहु अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत, वेद ग्रंथों तथा कई पुराणों में सहस्रबाहु की कई कथाएं पाई जाती हैं। पौराणिक ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार कार्तवीर्य अर्जुन के हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजयी, सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम होने का वर्णन मिलता है। 

सहस्रार्जुन जयंती क्षत्रिय धर्म की रक्षा एवं सामाजिक उत्थान के लिए मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार प्रतिवर्ष सहस्रबाहु जयंती कार्तिक शुक्ल सप्तमी को दीपावली के ठीक बाद मनाई जाती है भागवत पुराण में भगवान विष्णु व लक्ष्मी द्वारा सहस्रबाहु महाराज की उत्पत्ति की जन्मकथा का वर्णन है। उन्होंने भगवान की कठोर तपस्या करके 10 वरदान प्राप्त किए और चक्रवर्ती सम्राट की उपाधि धारण की। वे भगवान विष्णु के 24वें अवतार माने गए हैं।

एक शक्तिशाली राजा राज राजेश्वर सहस्त्रबाहु अर्जुन का जिवन परिचय जिसने रावण को भी युध्द मे पराजित कर दिया था त्रेता युग में रावण से भी एक शक्तिशाली राजा था जिसका नाम था सहस्त्रबाहु उसकी राजधानी महिष्मति नगरी थी जो नर्मदा नदी के तट पर बसी थी! वर्तमान में यह स्थान मध्य प्रदेश राज्य के नर्मदा नदी के पास महेश्वर नगर हैं जहाँ सहस्त्रबाहु को समर्पित मंदिर भी स्थित है! अपने समय में सहस्त्रबाहु अत्यधिक शक्तिशाली तथा पराक्रमी राजा था जिसनें तीनों लोकों के राजा रावण को भी पराजित कर दिया था और उसे अपने कारावास में बंदी बनाकर रखा था आज हम सहस्त्रबाहु के जीवन के बारे में जानेंगे।

सहस्त्रबाहु का जीवन परिचय सहस्त्रबाहु का जन्म: सहस्त्रबाहु राजा कृतवीर्य के पुत्र थे जो हैहय वंश के राजा थे! उनका वास्तविक नाम अर्जुन था किंतु समय के साथ-साथ उनके कई नाम पड़े अपने पिता के बाद सहस्त्रबाहु महिष्मति नगरी के परम प्रतापी राजा बने। राजा बनने के पश्चात उनका पृथ्वी के कई महान योद्धाओं से युद्ध हुआ था!

पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में सहस्त्रबाहु अर्जुन नाम के एक प्रतापी राजा हुए. जिन्हें कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है. सहस्त्रबाहु अर्जुन को रावण से भी अधिक बलशाली माना जाता है. कार्तवीर्य अर्जुन के पिता का नाम कार्तवीर्य था. ये भी प्रतापी राजा थे. उनकी कई रानियां थी लेकिन किसी को कोई संतान नहीं थी. राजा और उनकी रानियों ने पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. तब उनकी एक रानी ने देवी अनुसूया से इसका उपाय पूछा. तब देवी अनुसूया में उन्हें अधिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उपवास रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए कहा. विधि पूर्वक एकादशी का व्रत करने के कारण भगवान प्रसन्न हुवे और वर मांगने के लिए कहा तब राजा और रानी ने कहा कि प्रभु उन्हेें ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न और सभी लोकों में आदरणीय तथा किसी से पराजित न हो. भगवान ने राजा से कहा कि ऐसा ही होगा. कुछ माह के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, इस पुत्र का नाम कार्तवीर्य अर्जुन रखा गया जो सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना गया!

राजा सहस्त्रबाहु के अनेको नाम आइये जानते हैं उनके विभिन्न नाम व उनका अर्थ..

:- बचपन का तथा वास्तविक नाम अर्जुन था लेकिन इसी के साथ उन्हें कई अन्य नामों से भी बुलाया जाता था।

:- कार्तवीर्य अर्जुन: यह नाम उन्हें अपने पिता के कारण मिला। उनके पिता का नाम कृतवीर्य था जिससे उन्हें कार्तवीर्य बुलाया जाने लगा।

:- सहस्त्रबाहु/ सहस्त्रार्जुन/ सहस्त्रार्जुन कार्तवीर्य: सहस्त्र का अर्थ होता है एक हज़ार तथा बाहु का अर्थ होता है भुजाएं अर्थात जिसकी एक हज़ार भुजाएं हो। सहस्त्रार्जुन को अपन गुरु दत्तात्रेय के द्वारा मिले वरदान स्वरुप एक हज़ार भुजाएं मिली थी जिसके बाद उन्हें सहस्त्रबाहु/ सहस्त्रार्जुन के नाम से जाना जाने लगा।

:- हैहय वंशाधिपति: सहस्त्रार्जुन अपने हैहय वर्ष में सबसे प्रतापी राजा था। इसलिये उसे हैहय वंश का प्रमुख अधिपति भी कहा गया।

:- माहिष्मती नरेश: महिष्मति नगरी के प्रमुख राजा होने के कारण उन्हें इस नाम से जाना जाता है।

:- दशग्रीवजयी: लंका के दस मुख वाले राजा रावण के ऊपर विजय प्राप्त करने के कारण उन्हें इस नाम की उपाधि मिली थी।

:- सप्त द्विपेश्वर: सातों दीपों पर राज करने के कारण कार्तवीर्य को इस नाम से भी जाना गया।

:- राज राजेश्वर: राजाओं के भी राजा होने के कारण उन्हें इस नाम से पहचान मिली। इसी नाम से उनका मंदिर भी वहां स्थित है।

सहस्त्रार्जुन का रावण से युद्ध: एक कथा के अनुसार लंकापति रावण को जब सहस्त्रबाहु अर्जुन की वीरता के बारे में पता चला तो वह सहस्त्रबाहु अर्जुन को हराने के लिए उनके नगर आ पहुंचा. यहां पहुंचकर रावण ने नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव को प्रसन्न करने और वरदान मांगने के लिए तपस्या आरंभ कर दी. थोड़ी दूर पर सहस्त्रबाहु अर्जुन अपने पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए आ गए, वे वहां जलक्रीड़ा करने लगे और अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया. प्रवाह रोक देने से नदी का जल किनारों से बहने लगा. जिस कारण रावण की तपस्या में विघ्न पड़ गया. इससे रावण को क्रोध आ गया और उसने सहस्त्रबाहु अर्जुन युद्ध आरंभ कर दिया. सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को युद्ध में बुरी तरह से परास्त कर दिया और बंदी बना लिया.

रावण के दादा के कहने पर मुक्त किया: बंदी बनाने की सूचना जैसे ही रावण के पिता हुई तो वे घबरा गए और सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास पहुंचे और रावण को मुक्त करने का आग्रह किया. रावण के दादा का नाम ऋषि पुलस्त्य था. दादा के कहने पर सहस्त्रबाहु ने रावण को मुक्त कर दिया.

हरिश्चंद्र कलाल बांसवाड़ा: सामाजिक कार्यकर्ता:

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