![Voice Reader](https://indianheadline.in/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/play.png)
![Stop Voice Reader](https://indianheadline.in/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/stop.png)
![Pause](https://indianheadline.in/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/pause.png)
![Resume](https://indianheadline.in/wp-content/plugins/magic-post-voice/assets/img/play.png)
इंडियन हैडलाइन न्यूज़/ भोपाल प्रतिनिधि
समय के साथ हर समाज आगे बढ़ रहा है, सीख रहा है और तरक्की कर रहा है। यहां तक कि इतिहास में सबसे निचली पायदानों पर रहे जातीय समाज भी आज सामाजिक भेदभाव और शोषण की जंजीरों को तोड़ प्रगति के पथगामी हैं। और, इसमें उस समाज की महान विभूतियों, सामाजिक संगठनों व संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
जहां तक कलचुरी समाज (कलार, कलाल, कलवार) की बात है तो लंबे समय तक भेदभाव, शोषण और उपेक्षा का शिकार होने के बावजूद आज इसकी गिनती उन जागरूक जातीय समाजों में होती है जहां सामाजिक सुधार की प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई। ‘अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा’ नाम की संस्था दरअसल सामाजिक सुधार, शिक्षा और प्रगति को लेकर कलचुरी समाज की जागृत चेतना की जीती-जागती मिसाल है, जो 3 अगस्त 2024 को भोपाल में अपना 89वां स्थापना दिवस समारोह मनाने जा रही है।
खास बात यह है कि महासभा भले ही अपना 89वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है, लेकिन सही मायनों में यह 100 वर्षों से भी अधिक पुरानी संस्था है, और राष्ट्रीय स्तर पर कलचुरी समाज की पहली रजिस्टर्ड संस्था होने का गौरव भी इसे ही हासिल है। हालांकि कलचुरी समाज की कई इससे पुरानी संस्थाएं भी थीं लेकिन उनका कार्यक्षेत्र स्थानीय स्तर पर ही रहा। इस संस्था का रजिस्टर्ड नाम ‘अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा’है जिसका इतिहास कहीं न कहीं प्रयागराज की सबसे पुरानी सामाजिक संस्था‘श्री हैहय क्षत्रिय जायसवाल सभा, प्रयाग’से एक खास नाता है।
श्री हैहय क्षत्रिय जायसवाल सभा, प्रयाग की स्थापना तत्कालीन समाज सुधारक (लाला हनुमान प्रसाद जायसवाल, बहादुरगंज, छोटे लाल महाजन, हिम्मतगंज, नर्मदा निवास, कटघर और शाहगंज कोठीवाले) द्वारा 1905 में की गई थी। इसका कार्यक्षेत्र प्रयागराज और आसपास के क्षेत्र में जायसवाल समाज के मानव एवं सामाजिक विकास के उद्देश्य से किया गया था। इस संस्था के गठन के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसी ही संस्था के गठन का विचार भी प्रतिपादित हुआ। लेकिन इस दिशा में कोई ठोस पहल होने में 6 वर्ष लग गए।
1911 में प्रयागराज में स्व. श्री कुंदनलाल जायसवाल (दिल्ली) और स्व. श्री फूलचंद्र जायसवाल (नीमच) की अध्यक्षता में हुए हैहय क्षत्रिय समाज के महाधिवेशन में ‘अखिल भारतवर्षीय हैहय क्षत्रिय महासभा’ का गठन हुआ। इसके बाद इस नवगठित संस्था के कई राष्ट्रीय अधिवेशन हुए। इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन 26 से 28 सितंबर, 1926 को जबलपुर में हुआ था जिसकी अध्यक्षता महान इतिहासकार डा. काशीप्रसाद जायसवाल ने की थी, और सचिव थे जाने-माने पुरातत्वविद एवं विद्वान ‘राय बहादुर’ डा. हीरालाल राय। संस्था ने अगले कुछ वर्षों का सफर इन्हीं दो महान विभूतियों के मार्गदर्शन और नेतृत्व में तय किया। 1933 में डा. हीरालाल राय के मार्गदर्शन महासभा के पंजीकरण की रूपरेखा तैयार हुई और 3 अगस्त, 1935 को महासभा का पंजीकरण हुआ। पंजीकरण के बाद डा. महान गणितज्ञ गोरख प्रसाद जायसवाल इसके पहले अध्यक्ष बने थे जो अपने पूर्ववर्ती अध्यक्षों डा. काशीप्रसाद जायसवाल एवं राय बहादुर डा. हीरालाल राय के समान ही अपने क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात थे। डा. गोरख प्रसाद जायसवाल और उनके बाद के अध्यक्षों के कार्यकाल में महासभा राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक उत्थान के अपने उद्देश्य पर समर्पित भाव से काम करती रही।
महासभा के मौजूदा अध्यक्ष श्री जयनारायण चौकसे भी एक जाने-माने शिक्षाविद और समाजसेवी व सुधारक हैं। उनके नेतृत्व में महासभा ने समाजबंधुओं के सशक्त सहयोग के साथ आगे बढ़ने का एक रोडमैप तैयार किया है। इसके अनुसार, महासभा राष्ट्रीय स्तर पर ‘एक नाम, एक लोगो, एक ध्वज’ के माध्यम से समाज की एक पहचान स्थापित करने का प्रयास करेगी। साथ ही प्रत्येक आय़ु वर्ग में नेतृत्व की भावना को बलवती करने के लिए राष्ट्र से लेकर स्थानीय स्तर तक महिला इकाइयों, युवा इकाइयों (40 वर्ष की आयु तक), वरिष्ठजन इकाई (मार्गदर्शन हेतु) के गठन का प्रयास किया जाएगा। समाज के उत्थान खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक उत्थान हेतु सामूहिक प्रयास की एक व्यवस्था बनाई जाएगी। श्री जयनारायण चौकसे ने बताया कि महासभा का कोई भी अध्यक्ष केवल एक कार्यकाल के लिए ही नियुक्त किया जाएगा जो कि पांच वर्ष का होगा। एक कार्यकाल पूरा होने पर वह अध्यक्ष स्वतः ही वरिष्ठजन इकाई यानी मार्गदर्शक मंडल का सदस्य हो जाएगा। इसी प्रकार जिला और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी अपने पद पर पुनरावृत्त नहीं हो सकेंगे।
श्री जयनारायण चौकसे ने शिवहरेवाणी को बताया कि महासभा का गौरवशाली इतिहास रहा है, 1982 तक यह कलचुरी समाज की एकमात्र राष्ट्र-स्तरीय संस्था थी और इसका नेतृत्व हमेशा ही प्रगतिशील विचारों वाले सुशिक्षित व प्रतिष्ठित समाजबंधुओं के पास रहा। महासभा नए दौर में नई जरूरतों के लिहाज से आगे भी समाजहित के काम करती रहे, इसी की रूपरेखा 3 अगस्त को 89वें स्थापना दिवस समारोह में होने वाले विचार-गोष्ठी में तय की जाएगी। अगले दिन 4 अगस्त को कलचुरी युवक-युवती वैवाहिक परिचय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। दोनों कार्यक्रम श्री चौकसे के कोलार रोड स्थित अपने प्रतिष्ठित शिक्षा प्रतिष्ठान ‘एलएनसीटी यूनीवर्सिटी एवं जेके हॉस्पिटल’ परिसर में होंगे। दो दिनी आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए श्री जयनारायण चौकसे के साथ महामंत्री श्री एमएल राय और श्री शंकरलाल राय के नेतृत्व में 200 से अधिक समाजबंधुओं की टीम गत दो माह से विभिन्न व्यवस्थाओं को अंजाम देने के लिए जुटी हुई है।