इंडियन हैडलाइन न्यूज़/ भंडारा प्रतिनिधि
ओ जाते हुए 2024 तुम्हें शुक्रिया-शुक्रिया।
तुमने बहुत कुछ हमें है दिया।
कभी थी पलकें गम में भीगी।
लेकिन कभी ढ़ेरों खुशियां भी हमें है मिली।
दिल कह रहा तुम्हें अलविदा-अलविदा।
तुमने जो भी दिया बहुत खूब है दिया।
ओ जाते हुए 2024 तुम्हें शुक्रिया-शुक्रिया।
बस दिल तुमसे इतना ही कहना चाहे।
जो खड़ा है 2025 हमारे आगे फैलाए बाहें।
उससे बस यही तुम कहना।
सबके लिए ढ़ेरों खुशियां लाना।
देखो कोई बहाना न बनाना।
जो अब तक हुई न हो ख्वाहिश किसी की पूरी।
वह अब रहे न अधूरी।
कोई लक्ष्य तक किसी का पहुंचना हो जरूरी।
उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाना।
देखो कोई चलेगा न बहाना।
बिछड़े हुए को तुम मिलाना।
जाते-जाते आने वाले पलों को तुम ही सब बतलाना।
ओ जाते हुए 2024 तुम्हें शुक्रिया-शुक्रिया।
दिल कह रहा तुम्हें अलविदा-अलविदा।।
स्वरचित
मंजू अशोक राजाभोज
भंडारा (महाराष्ट्र)