Search
Close this search box.
जनसेवा हे माझे आद्य कर्तव्य ; जनतेला न्याय मिळवून देणे हीच माझी प्रमुख भूमिका – पंकज एस यादव “अवकाळीचे येणे दुष्काळात तेरावा महिना” रेल्वे ब्रीज का निर्माण कार्य ८ दिन में सुरु करे अन्यथा करेंगे आंदोलन – विधायक विनोद अग्रवाल प्रताप मेमोरियल चेरिटेबल द्वारा ट्रस्ट 10 मई को ग्राम कामठा में भव्य सर्वधर्म सामुहिक विवाह समारोह पुर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल के संयोजन में विवाह की तैयारी शुरू आज हनुमान चालीस का पाठ पत्रकार अमृतलाल (लालु) चरडे यांची पदोन्नती मानवता को जिवित रखने के लिए रक्तदान जरुरी- रक्तदूत प्रीतम राजाभोज.. करडी मुंढरी रस्त्याचे काम कासव गतीने कलार समाज भोपाल के 18 वे स्थापना दिवस समारोह संपन्न सामान्य कावीळ साठी नवजात बालकांना ‘रेफर टू भंडारा’ वैद्यकिय अधीक्षकांचे दुर्लक्ष 
1710993667408
WhatsApp Image 2024-04-12 at 10.41.57_8c08aba1
1710994486762
WhatsApp Image 2024-02-29 at 17.04.28_6ab901dd
mamacha
WhatsApp Image 2023-08-31 at 00.27.18
IMG-20231030-WA0012

एक शक्तिशाली राजा राज राजेश्वर सहस्त्रबाहु अर्जुन का जिवन परिचय जिसने रावण को भी युध्द मे पराजित कर दिया था

त्रेता युग में रावण से भी एक शक्तिशाली राजा था जिसका नाम था सहस्त्रबाहु उसकी राजधानी महिष्मति नगरी थी जो नर्मदा नदी के तट पर बसी थी! वर्तमान में यह स्थान मध्य प्रदेश राज्य के नर्मदा नदी के पास महेश्वर नगर हैं जहाँ सहस्त्रबाहु को समर्पित मंदिर भी स्थित है!

अपने समय में सहस्त्रबाहु अत्यधिक शक्तिशाली तथा पराक्रमी राजा था जिसनें तीनों लोकों के राजा रावण को भी पराजित कर दिया था और उसे अपने कारावास में बंदी बनाकर रखा था आज हम सहस्त्रबाहु के जीवन के बारे में जानेंगे।

सहस्त्रबाहु का जीवन परिचय सहस्त्रबाहु का जन्म

सहस्त्रबाहु राजा कृतवीर्य के पुत्र थे जो हैहय वंश के राजा थे! उनका वास्तविक नाम अर्जुन था किंतु समय के साथ-साथ उनके कई नाम पड़े अपने पिता के बाद सहस्त्रबाहु महिष्मति नगरी के परम प्रतापी राजा बने। राजा बनने के पश्चात उनका पृथ्वी के कई महान योद्धाओं से युद्ध हुआ था!

पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में सहस्त्रबाहु अर्जुन नाम के एक प्रतापी राजा हुए. जिन्हें कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है. सहस्त्रबाहु अर्जुन को रावण से भी अधिक बलशाली माना जाता है. कार्तवीर्य अर्जुन के पिता का नाम कार्तवीर्य था. ये भी प्रतापी राजा थे. उनकी कई रानियां थी लेकिन किसी को कोई संतान नहीं थी. राजा और उनकी रानियों ने पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. तब उनकी एक रानी ने देवी अनुसूया से इसका उपाय पूछा. तब देवी अनुसूया में उन्हें अधिक मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उपवास रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए कहा. विधि पूर्वक एकादशी का व्रत करने के कारण भगवान प्रसन्न हुवे और वर मांगने के लिए कहा तब राजा और रानी ने कहा कि प्रभु उन्हेें ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न और सभी लोकों में आदरणीय तथा किसी से पराजित न हो. भगवान ने राजा से कहा कि ऐसा ही होगा. कुछ माह के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, इस पुत्र का नाम कार्तवीर्य अर्जुन रखा गया जो सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना गया!

राजा सहस्त्रबाहु के अनेको नाम आइये जानते हैं उनके विभिन्न नाम व उनका अर्थ..

:- बचपन का तथा वास्तविक नाम अर्जुन था लेकिन इसी के साथ उन्हें कई अन्य नामों से भी बुलाया जाता था।

:- कार्तवीर्य अर्जुन: यह नाम उन्हें अपने पिता के कारण मिला। उनके पिता का नाम कृतवीर्य था जिससे उन्हें कार्तवीर्य बुलाया जाने लगा।

:- सहस्त्रबाहु/ सहस्त्रार्जुन/ सहस्त्रार्जुन कार्तवीर्य: सहस्त्र का अर्थ होता है एक हज़ार तथा बाहु का अर्थ होता है भुजाएं अर्थात जिसकी एक हज़ार भुजाएं हो। सहस्त्रार्जुन को अपन गुरु दत्तात्रेय के द्वारा मिले वरदान स्वरुप एक हज़ार भुजाएं मिली थी जिसके बाद उन्हें सहस्त्रबाहु/ सहस्त्रार्जुन के नाम से जाना जाने लगा।

:- हैहय वंशाधिपति: सहस्त्रार्जुन अपने हैहय वर्ष में सबसे प्रतापी राजा था। इसलिये उसे हैहय वंश का प्रमुख अधिपति भी कहा गया।

:- माहिष्मती नरेश: महिष्मति नगरी के प्रमुख राजा होने के कारण उन्हें इस नाम से जाना जाता है।

:- दशग्रीवजयी: लंका के दस मुख वाले राजा रावण के ऊपर विजय प्राप्त करने के कारण उन्हें इस नाम की उपाधि मिली थी।

:- सप्त द्विपेश्वर: सातों दीपों पर राज करने के कारण कार्तवीर्य को इस नाम से भी जाना गया।

:- राज राजेश्वर: राजाओं के भी राजा होने के कारण उन्हें इस नाम से पहचान मिली। इसी नाम से उनका मंदिर भी वहां स्थित है।

सहस्त्रार्जुन का रावण से युद्ध

एक कथा के अनुसार लंकापति रावण को जब सहस्त्रबाहु अर्जुन की वीरता के बारे में पता चला तो वह सहस्त्रबाहु अर्जुन को हराने के लिए उनके नगर आ पहुंचा. यहां पहुंचकर रावण ने नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव को प्रसन्न करने और वरदान मांगने के लिए तपस्या आरंभ कर दी. थोड़ी दूर पर सहस्त्रबाहु अर्जुन अपने पत्नियों के साथ नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए आ गए, वे वहां जलक्रीड़ा करने लगे और अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया. प्रवाह रोक देने से नदी का जल किनारों से बहने लगा. जिस कारण रावण की तपस्या में विघ्न पड़ गया. इससे रावण को क्रोध आ गया और उसने सहस्त्रबाहु अर्जुन युद्ध आरंभ कर दिया. सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को युद्ध में बुरी तरह से परास्त कर दिया और बंदी बना लिया.

रावण के दादा के कहने पर मुक्त किया

बंदी बनाने की सूचना जैसे ही रावण के पिता हुई तो वे घबरा गए और सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास पहुंचे और रावण को मुक्त करने का आग्रह किया. रावण के दादा का नाम ऋषि पुलस्त्य था. दादा के कहने पर सहस्त्रबाहु ने रावण को मुक्त कर दिया.

संकलन:-

श्रीमती: अर्चना जी जायसवाल, (राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ) संयोजिका (अध्यक्ष)

श्री: दीपक जी जायसवाल (राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष)

श्री: तुषार कमल पशिने, तुमसर जि:- भंडारा महाराष्ट्र, संस्थापक (अध्यक्ष) कलचुरी_सेना_महाराष्ट्र मो. 9595186820 (राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ युवा इकाई प्रदेश अध्यक्ष)

Leave a Comment

loader-image
BHANDARA GONDIA
8:44 am, May 13, 2024
temperature icon 30°C
clear sky
Humidity 43 %
Pressure 1012 mb
Wind 10 Km/h
Wind Gust Wind Gust: 12 Km/h
Clouds Clouds: 1%
Visibility Visibility: 0 km
Sunrise Sunrise: 5:55 am
Sunset Sunset: 6:57 pm

Our Visitor

5 1 1 9 9 2
Total Users : 511992
Total views : 523772