



इंडियन हैडलाइन न्युज/ भंडारा प्रतिनिधी
मुझसे एक बार किसी ने यह प्रश्न किया था कि………
अगर लड़की आत्मनिर्भर है और शादी नहीं करना चाहती तो क्या माता-पिता को चिंतित होना चाहिए!!! उसकी शादी के लिए?
उनके प्रश्न का उत्तर मैंने कुछ इस प्रकार दिया था जो आज मैं आप सभी के समक्ष अपनी लेखनी के माध्यम से प्रस्तुत कर रही हूँ जो एक कटु सत्य हैं …………..
आपका सवाल आज की युवा पीढ़ी पर बहुत ही सटीक बैठता है, आजकल बहुत से युवा वर्ग शादी को महत्व नहीं देते सिर्फ अपने करियर को महत्व देते है, लेकिन यह बात एक समय सीमा तक सही है।
आज के समय में हम देखते है कि लड़के-लड़कियों की विचारधारा में बहुत बदलाव आ गया है। उन्हें लगता है कि जीवन का लक्ष्य सिर्फ शादी करना ही है क्या?
मैं यह नहीं बोलना चाहती कि आप बिना अपने पैरों पर खड़े हुए शादी के लिए राजी हो जाओ, लेकिन ऐसा तो नहीं है न कि आप जिंदगी भर कुंवारे रहकर सिर्फ अपना करियर ही बनाते रहोगें।
हमारे जीवन में हमें चार पड़ावों से होकर गुजरना पड़ता है। हर पड़ाव में हमारे अलग-अलग जीवन के लक्ष्य निर्धारित किए गए है। यदि हम हर लक्ष्य तक निर्धारित समय सीमा पर पहुंच जाते है तो हम हमारे जीवन को सफल जीवन मानते है, जीने को तो सभी जीते है लेकिन बखूबी सफल जीवन जीना ही सही मायने में जिंदगी जीना है।
जब बच्चों की उम्र शादी के लायक हो जाती है तो यह स्वाभाविक है कि माता-पिता को चिंता होगी ही। फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की उन्हें तो दोनों के लिए ही चिंता रहती है। हर माता-पिता के जीवन का उद्देश्य यहीं होता है कि वह अपने जीवन काल में अपने बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाकर और फिर उनकी गृहस्थी बसा कर अपनी जिम्मदरियो से मुक्त हो जाए। उनका ऐसी चाहत रखना कुछ गलत भी नहीं है।
हां, यदि उनके द्वारा चुनाव किया हुआ रिश्ता तुम्हें पसंद न हो तो इस बारे में खुलकर अपने माता-पिता को अपनी पसंद बता देना चाहिए। जिससे उन्हें आपके लायक रिश्ता पसन्द करने में आसानी हो!
कई बार बच्चें पहले तो उनके द्वारा सुझाए हर रिश्ते को यह कहकर मना कर देते है कि उन्हें अभी शादी नहीं करना और फिर जब माता-पिता बहुत परेशान हो जाते है | तब जाकर बच्चें अपनी पसंद उन्हें बताते है, तब तक बच्चों कि उम्र बहुत बढ़ चुकी होती है।
विचार कीजिएगा………..
जरा मेरी बात को ध्यान से समझने कि कोशिश करना अगर आप शादी की उम्र निकलने के बाद शादी करोगें, तो आगे दूसरी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। वैसे भी आजकल लोग जल्द ही दस बीमारियों से घिर जाते है ,जब खुद ही तुम अपनी सेहत को लेकर परेशान रहोगें, तो फिर आगे बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी कैसे संभाल पाओगे??
सही उम्र में शादी होने पर बच्चों की जिम्मेदारी भी हम बखूबी संभाल पाते है, क्योंकि उस समय हम हर तरह से स्वस्थ होते हो।
आजकल तो एक नया ही चलन चल गया है, जहां बच्चें नौकरी करने दूसरे शहर में माता-पिता से दूर रहते है, वहीं अपने साथी के साथ ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने लगते है | कुछ तो कुछ समय साथ में रहकर शादी कर लेते है और कुछ बाद में अलग- अलग हो जाते है। जिसकी वजह से वे दूसरी कई परेशानियों में खुद को घिरा पाते है।
यहीं वजह है कि माता-पिता अपने बच्चों की शादी को लेकर चिंतित रहते है और यह स्वाभाविक है।
यहां मै माता-पिता को भी एक सलाह देना चाहूंगी कि उन्हें भी अपने बच्चों से इस बारे में एक दोस्त की तरह व्यवहार करते हुए अपने बच्चों के मन की बात समझना चाहिए कि वह शादी क्यों नहीं करना चाहता, आखिर इसकी वजह क्या है?
बच्चों को भी अपने पेरेंट्स को अपनी शादी न करने की सही वजह बताना चाहिए, क्योंकि करियर कोई वजह नहीं है, शादी न करने के लिए।
क्या, शादी के बाद करियर नहीं बनाया जा सकता?
बल्कि…….. “जिंदगी में हर किसी को एक हमसफ़र की जरूरत पड़ती ही हैं, जिंदगी को जिंदगी कहलाने के काबिल बनाने के लिए”।
यहीं जिंदगी की सच्चाई हैं। यहां मै एक बात कहना चाहूंगी कि यहां मैंने अपने विचार व्यक्त किए है, जरूरी नहीं है कि हर कोई मेरी विचार धारा से सहमत हो। धन्यवाद
बेटियां
बहुत प्यारी, ईश्वर की देन हैं बेटियां।
जब घर की फुलवारी में खिलती हैं बेटियां।
घर का कोना-कोना महका देती हैं बेटियां।
हमारी कुछ अधूरी,
ख्वाइशों को पूरा करने का जरिया बनती हैं बेटियां।
हमारा बचपन फिर से दोहराती हैं बेटियां।
जब मायके से बिदा होती हैं,
जाते-जाते ढेरों आशीष दे जाती हैं बेटियां।
दो परिवार को जोड़ने की कड़ी होती हैं बेटियां।
अपने ससुराल की शान बढ़ाती हैं बेटियां।
ससुराल जाते-जाते मायके में,
बहुत सी निशानियां छोड़ जाती हैं बेटियां।
संदुको में कपड़ों का ढेर छोड़ जाती हैं बेटियां।
बचपन की यादों का मंजर छोड़ जाती हैं बेटियां।
शहर से दूर होकर भी दिल से करीब होती हैं बेटियां।
हमारे दु:ख-सुख की भागीदार बनती हैं बेटियां।
बस कहने को हमसे दूर जाती हैं बेटियां।
बेटों से वंश चलता हैं लेकिन,
हमारा अंश कहलाती हैं बेटियां।
बहुत प्यारी, ईश्वर की देन हैं बेटियां…
स्वरचित. …….
मंजू अशोक राजाभोज
भंडारा (महाराष्ट्र)
8788867704