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“भारत देश के अलग-अलग प्रांतो में मनाया गया सहस्त्रबाहु जन्मोत्सव” जय कलचुरी..! सहस्रबाहु जन्मोत्सव के दौरान विभिन्न वर्गों में एकता का स्वागत कीजिए: जयनारायण चौकसे- हैहैय राष्ट्रीय कलचुरी महासभा”

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इंडियन हैडलाइन न्यूज़/ भोपाल प्रतिनिधि 

भोपाल: देशभर में कलचुरी समाज ने बीती 8 नवंबर को अपने आराध्य भगवान राजराजेश्वर सहस्रबाहु अर्जुन का जन्मोत्सव पूर्ण आस्था और श्रद्धाभाव के साथ मनाया। कहीं एक दिनी आयोजन हुए तो कहीं-कहीं सप्ताहभर तक कार्यक्रमों का सिलसिला चला। इनमें आयोजनों समाज के सभी वर्गों के महिला-पुरुष और बच्चों ने जिस उत्साह और उमंग से भागीदारी की, वह अभूतपूर्व है और समाज इसके लिए बधाई का पात्र है।

इस बार उत्तर से दक्षिणी राज्यों और पश्चिमी छोर से पूर्वोत्तर राज्यों तक में, जहां-जहां भी कलचुरी समाज के लोग है, वहां-वहां भगवान सहस्रबाहु का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया है। नगालैंड समेत पूर्वोत्तर राज्यों तक से आयोजनों की रिपोर्ट आ रही हैं। मध्य प्रदेश के लगभग हर नगर, कस्बे और यहां तक कि गांवों तक में जन्मोत्सव के आयोजन हुए हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, प.बंगाल. असम औऱ उड़ीसा के साथ इस बार तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगना और केरल तक से जन्मोत्सव मनाए जाने के समाचार मिल रहे हैं। आंध्र प्रदेश में गौड़-भंडारी समेत सभी वर्ग ने धूमधाम से जन्मोत्सव मनाया है। सहस्रबाहु जन्मोत्सव के आयोजनों से देशभर में बहुत स्पष्ट संदेश गया है कि कलचुरी समाज अब वर्गों में बंटा समाज नहीं है, बल्कि एक है। यही स्थिति उस एकता का पहला पड़ाव है, जिसकी कोशिशें कई दशकों से चल रही हैं।

इन आयोजनों में एक और अच्छी बात देखने को मिली है। वो ये कि जन्मोत्सव के ज्यादातर कार्यक्रमों के बैकड्रॉप, बैनर, होर्डिंग और अन्य प्रचार सामग्रियों में कलचुरी शब्द का प्रयोग किया गया है। कई जगह आयोजकों ने अपने वर्गों के साथ कलचुरी शब्द का प्रयोग किया। मसलन यूपी के आगरा में शोभायात्रा का कार्यक्रम ‘शिवहरे कलचुरी समाज’ के बैनर तले हुआ। कलचुरी शब्द की पहचान से सभी वर्गों को जोड़ने की कोशिश भी लंबे समय चल रही थीं जो इस जन्मोत्सव में पूरी होती नजर आई!

मेरे पांच दशकों के सामाजिक जीवन में में पहली बार देख रहा हूं कि कलचुरी समाज अपने आराध्य का जन्मोत्सव इतने व्यापक स्तर पर मना रहा है। मुझे याद है 1977 में बैंक की नौकरी में जबलपुर पोस्टिंग के दौरान वहां सहस्रबाहु जन्मोत्सव पर हमने पहली बार शोभायात्रा निकलवाई थी। जबलपुर के कुछ समाजबंधुओं के साथ मिलकर बैंडबाजे अरेंज किए, करीब 15-20 वाहन भी जुटाए थे। बड़ी कोशिशों के बाद भी गिनेचुने कलचुरी समजाबंधु ही इसमें शामिल हुए थे। तब जलबपुर के कलचुरी समाज के वरिष्ठ सेवियों के लिए यह शोभायात्रा कौतुहुल, चर्चा और आलोचना का विषय बन गई थी। तब पता चला कि अधिसंख्य कलचुरी समाजबंधुओं को भगवान सहस्रबाहु के विषय में जानकारी ही नहीं है। फिर हमने भगवान सहस्रबाहु और कलचुरी वंश के प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाया था, और तब से यह अभियान अनवरत चल रहा है।

आज भगवान सहस्रबाहु के जन्मोत्सव पर समाज के सभी वर्ग एकजुट नजर आए है तो इसमें बहुत बड़ा योगदान सोशल मीडिया का भी है। सभी के प्रयासों से समाज के सभी वर्गों में एकता का जो भाव बना है, वह स्वागतयोग्य है और इसे और मजबूत करने की जरूरत है। इसके लिए हर समाजबंधु को बीते दिनों ‘अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा’ के भोपाल अधिवेशन (4 अगस्त, 2024) में पारित हुए प्रस्तावों को व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़ाना होगा। मान लीजिये कोई आपसे आपका परिचय पूछे तो आपको कहना है कि मैं कलचुरी समाज से हूं, मेरा नाम …(आप अपना नाम बताएं) है। इसके बाद शिवहरे, चौकसे, जायसवाल, गौड़, नाडर जिस भी वर्ग से आप हैं, उसका नाम ले सकते हैं!

एक बात और, समाज के सभी वर्गों को एकता के इस भाव तक लाने में सामाजिक संगठनों की अहम भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भोपाल अधिवेशन में यह प्रस्ताव भी पारित हुआ था कि राष्ट्रीय, प्रादेशिक, जनपदीय या नगरीय स्तर पर कलचुरी समाज के विभिन्न वर्गों के जो भी सामाजिक संगठन हैं, उन्हें यथावत काम करते हुए इतना भर करना है कि वे अपने कार्यक्रमों के बैनर, होर्डिंग, बैकड्रॉप पर सबसे ऊपर कलचुरी समाज अवश्य लिखें, इसके बाद ही अपने संगठन का नाम लिखें। ऐसा करने से निश्चय ही हम सब विभिन्न वर्गों के समाजबंधु एक ‘कलचुरी’ पहचान से जुड़ जाएंगे, हमारे बीच एकता की एक स्वाभाविक भावना मजबूत होगी, और यही सबसे ज्यादा जरूरी है। ध्यान रखिये, कोई भी राजनीतिक दल औऱ तथाकथित उच्चजाति का कोई समाज नहीं चाहेगा कि कलचुरी जैसा विशाल समाज जो विभिन्न वर्गों में बंटा हुआ है, इस तरह एकजुट हो जाए!

लेखक: जयनारायण चौकसे- लेखक कलचुरी समाज के ख्यातिलब्ध समाजसेवी, शिक्षाविद और प्रतिष्ठित शेक्षणिक समूह ‘एलएनसीटी ग्रुप, भोपाल’ के चेयरमैन हैं

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